क्या मिलना है उनसे जाकर
जिनके मन में प्यार नहीं
बेशक लक्ष्मी बरस रही हो
पर आदर सत्कार नहीं
चेहरे पर हों लगे मुखौटे
मन में कटुता भरी हुई
क्यूँ जाएँ हम उनसे मिलने
इतने तो लाचार नहीं
करें दिखावा अपनेपन का
अलग दिखाने, खाने, के
ऐसे स्वार्थ परक लोगों का
अच्छा हो दीदार नहीं
नफरत नहीं हमें है उनसे
हाँ बेशक है प्यार नहीं
दूर दूर की "राम" भली है
करते हम तकरार नहीं
पाला पोसा "अहम्" ने उनको
और पैसे ने "बड़ा" किया
वो वाणी किस काम की जिससे
बहे प्रीत की धार नहीं.
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जिनके मन में प्यार नहीं
बेशक लक्ष्मी बरस रही हो
पर आदर सत्कार नहीं
चेहरे पर हों लगे मुखौटे
मन में कटुता भरी हुई
क्यूँ जाएँ हम उनसे मिलने
इतने तो लाचार नहीं
करें दिखावा अपनेपन का
अलग दिखाने, खाने, के
ऐसे स्वार्थ परक लोगों का
अच्छा हो दीदार नहीं
नफरत नहीं हमें है उनसे
हाँ बेशक है प्यार नहीं
दूर दूर की "राम" भली है
करते हम तकरार नहीं
पाला पोसा "अहम्" ने उनको
और पैसे ने "बड़ा" किया
वो वाणी किस काम की जिससे
बहे प्रीत की धार नहीं.
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