उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शुक्रवार, 27 मार्च 2009

जाम क्या पीते................

जाम क्या पीते, जमानत जब्त है
राजनीती चीज़ क्या कमबख्त है

चाल ना कोई चली चालाक की
सुनते हैं इस बार जनता सख्त है

"हार" कोई ना मिला , बैठे हैं हार
ये मुआ चुनाव ही बेवक्त है

ईंट मिली रोड़ा , कैसे जोड़ते
हर किसी का ताज , अपना तख्त है

लग गया था उसके मुंह मानव लहू
देख सारा जिस्म ही आरक्त है

चल पड़े हैं हज को सब से कह दिया
छोड़ कर संसार को, विरक्त हैं

अब उसे कुर्सी ना कोई चाहिए
प्रजा का सेवक, वो देश- भक्त है


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उपरोक्त कविता में "हार " मतलब फूलों की माला, और दूसरी हार का मतलब पराजय है।
"ईंट मिली न रोड़ा" में मुहावरा "ईंट मिली न रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा"
"चल पड़े हैं हज को" में मुहावरा " सौ सौ चूहे खाके बिल्ली हज को चली" का प्रयोग है.
"आरक्त" मतलब खून से सना, खून में डूब, लाल रंग

रविवार, 22 मार्च 2009

मिले अमावस में........

दो लम्बी लम्बी रचनाओं के बाद एक छोटी सी रचना प्रस्तुत है।

मिले अमावस में, पूनम, तो
"स्वप्न" कोई खंडित क्यूँ होगा

अगर न्याय के नेत्र खुले हों
बेगुनाह दण्डित क्यूँ होगा

अगर धर्म ही नहीं बचेगा
कलयुग में" पंडित" क्यूँ होगा

जनता जाग जाए तो नेता
फिर महिमा-मंडित क्यूँ होगा

संसद "चम्बल" नहीं रहेगी
संसद में "बैंडिट" क्यूँ होगा.


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"पंडित"--ज्ञानी