एक प्रार्थना , मेरी छोटी बहिन सुनीता वर्मा द्वारा लिखित , जो अध्यापिका है।
ना हमारे पास स्वर ना शब्द के भण्डार हैं
ना हमारे पास स्वर ना शब्द के भण्डार हैं
गा रहे हैं जो ह्रदय के भाव हैं उदगार हैं
ना दिया बाती जला कर आरती को लाये हैं
नयन के दीपक में तेरी ज्योत के आधार हैं
फूल भी कोई नहीं चरणों में जो अर्पण करें
दो सुमन लाये हैं एक श्रद्धा है दूजा प्यार है
रूप गुण तेरे प्रभु हम गान कर सकते नहीं
नाम तेरे अनगिनत अनगिन तेरे आकार हैं
द्वार तेरा छोड़ कर किस ठौर जाएँ हम भला
एक तुम ही बंधु हो बैरी सकल संसार है
प्रार्थना ये है हमारी ज्ञान हमको दीजिये
निज शरण ले लीजिये प्रभुजी तो बेडा पार है.
**********
ना हमारे पास स्वर ना शब्द के भण्डार हैं
गा रहे हैं जो ह्रदय के भाव हैं उदगार हैं
ना दिया बाती जला कर आरती को लाये हैं
नयन के दीपक में तेरी ज्योत के आधार हैं
फूल भी कोई नहीं चरणों में जो अर्पण करें
दो सुमन लाये हैं एक श्रद्धा है दूजा प्यार है
रूप गुण तेरे प्रभु हम गान कर सकते नहीं
नाम तेरे अनगिनत अनगिन तेरे आकार हैं
द्वार तेरा छोड़ कर किस ठौर जाएँ हम भला
एक तुम ही बंधु हो बैरी सकल संसार है
प्रार्थना ये है हमारी ज्ञान हमको दीजिये
निज शरण ले लीजिये प्रभुजी तो बेडा पार है.
**********