उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

गुरुवार, 13 अगस्त 2009

अपने प्रेमी जन की सुध ले अब तो धीर बंधा जा रे (कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष।)

कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष

(भगवन कृष्ण के गोकुल से मथुरा गमन के बाद का शब्द चित्र ।)

तेरे बाबा करे हैं याद तुझे अब तो मोहन घर आ जा रे
दिल से आंसू की धार बहे , अब तो गले लगा जा रे

सूना -सूना लगता गोकुल
जड़ चेतन सब हैं अति व्याकुल
सुध-बुध खो तेरी मैया कहे, चंदा-सा मुख दिखला जा रे
तेरे बाबा करे हैं..........................................................

भोजन में अब स्वाद नहीं है
तुझे किसी की याद नहीं है
माखन मिश्री करें प्रतीक्षा, आकर भोग लगा जा रे
तेरे बाबा करे हैं.......................................................

तेरी सब गैया रोती हैं
शुक मयूर सब मौन हो गए
ग्वाल बाल सब चीख रहे हैं, आकर गाय चारा जा रे
तेरे बाबा करे हैं......................................................

सभी गोपियाँ तड़प रही हैं
राधा बावरी भटक रही है
अपने प्रेमी जन की सुध ले , अब तो धीर बंधा जा रे
तेरे बाबा करे हैं........................................................
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स्वतंत्रता दिवस पर एक प्रश्न

देश प्रेमी हो तो बोलो देश की खातिर क्या दोगे?
रक्त के अतिरिक्त इस पर और क्या अर्पित करोगे?

दे सको तो मानसिक संकीर्णता दे दो
धर्म की नीवें हिलाती जीर्णता दे दो

जो अहिंसा को मिटाए क्रोध दे दो
सत्य को झुठलाये ऐसा बोध दे दो

कुटिल ह्रदय के सारे तुच्छ विचार दे दो
पाप को जो मूल भ्रष्टाचार दे दो

सौगंध लो ये सब नहीं देते डरोगे
देश प्रेमी हो तो बोलो देश की खातिर क्या दोगे?

देश प्रेमी हो तो बोलो देश की खातिर क्या दोगे?
रक्त के अतिरिक्त इस पर और क्या अर्पित करोगे?

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मंगलवार, 11 अगस्त 2009

कौन हो तुम ?

एक जिज्ञासा ह्रदय में
आज उठ आई कहाँ से
कौन हो तुम?

मैं खोजा किया तुमको
स्वप्न में
कल्पना में
गीत में
प्रीत में
आह में
आल्हाद में
किंतु
भटका फिर रहा हूँ मौन
प्रश्न का उत्तर
नहीं मैं पा सका हूँ
कौन हो तुम ?

यह तो निश्चित है की तुम हो
पर कहाँ हो?

मेरा स्वर टकरा कर
मुझसे अचानक
आ गया मेरे ही पास
जब पुकारा मैंने तुम्हें
तब लगा जैसे हो तुम मेरे ही पास
वह स्वप्न था
सत्य की परिधि में बंधा सा
स्वप्न खंडित हो चुका था
इससे पहले कि,
मैं, यह पूछता
तुमसे

अचानक!

कौन हो तुम?