उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शुक्रवार, 29 मई 2009

कौन कहता है मैं कहता हूँ ग़ज़ल

कौन कहता है मैं कहता हूँ ग़ज़ल
मुझको लगता है ये शब्दों का puzzle

तुमको लगता होगा मुश्किल काम ये
मुझसे गर पूछो तो है बिलकुल सरल

गीत कविता और ग़ज़ल सब एक हैं
दिल अगर श्रोता का जाता है बहल

दर्द का रिश्ता अजब है शायरी से
उम्दा शायर वो जो पीता हो गरल

शायरी जो, झनझना दे दिल के तार
जिसको सुनकर आँख हो जाए सजल

दर्द और आंसू की वर्षा में पकी
मौसमी होती नहीं इसकी फसल

दिल कभी जब प्यार से लबरेज हो
तो बिना मौसम खिले कविता-कमल

जब कभी लिखता हो कुछ कोई कवि
पाप होगा तुमने गर डाला खलल

है दखल इसमें "अकलमंदों" का भी
दूसरों की शायरी करते नक़ल

ये तसव्वुर की करामातें हैं "स्वप्न"
बस ख्यालों में ही बन जाता महल