उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

सोमवार, 15 मार्च 2010

बस यही मुश्किल है



प्रस्तुत है एक और पुरानी लिखी रचना.
 

बस यही मुश्किल है 

तोड़ दूं कसमें तमाम, और वादे भूल जाऊं
बस यही मुश्किल है मेरी , कैसे मैं उसको भुलाऊं
मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के
है अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं

कोई सब कुछ जानते भी जब बने अनजान सा
है यही मुश्किल कि उस्ससे  क्या छिपाऊं क्या बताऊँ

कोई फब्ती ही नहीं तस्वीर  दिल के फ्रेम में
है यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको सजाऊं

याद ही  कोई नहीं है नाम एक उसके सिवा
है यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको बुलाऊं



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