उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

मंगलवार, 16 नवंबर 2010

ढाई अक्षर प्यार का, ना कर सका कुछ


ढाई अक्षर प्यार का, ना, कर सका कुछ 


झूठ को सच, और सच को, झूठ करती आई दुनिया
बेशर्म, करते  हुए, ये सब,नहीं  शरमाई दुनिया

बेगुनाहों को, सजा मिलती रही,क्यूँ
कर सकी ना, आज तक भरपाई दुनिया

दीन दुखियों की सदा पर, ऊंघती,
और  पैसे की सदा पर,जाग कर उठ धाई दुनिया

ढाई अक्षर प्यार का, ना कर सका कुछ 
"स्वप्न " उसने पा के भी,ना ,पाई दुनिया

"स्वप्न" सच्चा जो,खुदा के सामने
उसने हो बेख़ौफ़, ये  ठुकराई दुनिया

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