चरणों मे मुझको रख लो बृज की ही रज समझ कर
चरणों मे मुझको रख लो बृज की ही रज समझ कर चरणों से मुझको प्यारे हरगिज़ जुदा ना करना
अब पास आ गया हूँ तेरे तेरी गली में
जीना भी है इसी में अब है इसी में मरना
मुद्दत से थी तमन्ना तेरे करीब आऊँ
तूने कृपा करी है आगे कृपा ही करना
में बन गया पड़ौसी तेरा करीब आकर
तुझसा हो गर पड़ौसी दुनिया की फिर फ़िकर ना
अब रोज़ हम मिलेंगे,अब रोज़ होंगी बातें
तेरी गली से प्यारे, अब रोज़ है गुजरना
तूने वो दे दिया है, मैं धन्य हो गया हूँ
वो ऋण दिया है मुझको चाहूँ ना मैं उतरना
अब सत्य होंगे सारे ,जो "स्वप्न' मैंने देखे
अब स्वप्न टूटने का दिल में कोई है डर ना (योगेश वर्मा स्वप्न 09:05:2019)