प्रस्तुत है एक और पुरानी लिखी रचना.
बस यही मुश्किल है
बस यही मुश्किल है
तोड़ दूं कसमें तमाम, और वादे भूल जाऊं
बस यही मुश्किल है मेरी , कैसे मैं उसको भुलाऊं
मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के
है अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं
कोई सब कुछ जानते भी जब बने अनजान सा
है यही मुश्किल कि उस्ससे क्या छिपाऊं क्या बताऊँ
कोई फब्ती ही नहीं तस्वीर दिल के फ्रेम में
है यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको सजाऊं
याद ही कोई नहीं है नाम एक उसके सिवा
है यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको बुलाऊं
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22 टिप्पणियां:
मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के है
अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं
सुन्दर भाव
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना। आपकी मुश्किल आसान हो शुभकामनायें
क्या बात है..है तो मुश्किल!! उम्दा रचना!
वाह !!!.....मन के भावों को बड़ी नाजुकता से शब्दों का रूप दिया है आपने .......बहुत सुन्दर रचना
अपनों को भूलना आसान नही
मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के
है अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं
वाह!बहुत ही उम्दा !
***भावपूर्ण रचना .
पहले की लिखी रचना पढवाने के लिए आभार.
पुरानी या नयी रचना...लेखक का उस से एक सा जुड़ाव या कहिये रिश्ता रहता है.
namastey uncle..!!!
bahut hi achha likha hai..
"याद ही कोई नहीं है नाम एक उसके सिवाहै यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको बुलाऊं"
मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै
bahut hi behtreen bhav.
सुन्दर भाव.वाह!बहुत ही उम्दा !
याद ही कोई नहीं है नाम एक उसके सिवा
है यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको बुलाऊं
और किसी को बुलाने की क्या जरुरत है ......योगेश जी .....???
ये कस्में निभाना भी हर किसी के बस का नहीं .....!!
"मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार केहै अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं"
कि उस्ससे क्या छिपाऊं क्या बताऊँ
बस यही मुश्किल है जी,
बिलकुल सही कहा है आपने!आप से पुर्णतः सहमत!
कुंवर जी,
मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के
है अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं
वाह.
सुन्दर भाव.वाह!
वाह!बहुत ही उम्दा! भावपूर्ण रचना.
aadarniya sir,ek sach ko bayan karati behatarin gajal.
poonam
मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के
है अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं
जज़्बात को बखूबी बयां किया है...खूबसूरत रचना..
सच है भुलाना आसान नही होता .... अच्छा लिखा है ...
वाह बहुत सुन्दर रचना. सत्य का उद्घोष करती.बधाई.
बहुत सुन्दर रचना.
बस यही मुश्किल है
तोड़ दूं कसमें तमाम, और वादे भूल जाऊंबस यही मुश्किल है मेरी , कैसे मैं उसको भुला
bahut sundar rachana ,komal ahsaas se judi
Kya gazbki rachana hai! Mai avak ho jati hun!
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