अब तो बस दे दे दरस, ओ सांवरे
जग की ज्वाला में जला मन, ढूंढे तेरी छाँव रे
अब तो बस............................................
एक तेरी प्यास तेरी आस, हर एक श्वास में
तुझको पा जाऊं तड़पता मन ,इसी विश्वास में
रिश्ते नाते तोड़ रख दी, जिंदगी भी दांव रे
अब तो बस..............................................
न राधा हूँ न मीरा हूँ , न तुलसी न संत कबीर
तेरा नाम ले भटक रहा हूँ, बना बावरा एक फकीर
अब तो बता दे है कहाँ, तेरा देश, तेरा गाँव रे
अब तो बस............................................
जग का बंधन ना रहा, ना देह का बंधन
सुख दुःख भूला, हर्ष शोक, भूला सब क्रंदन
बस प्रतीक्षा रत पडूंगा , कब तुम्हारे पाँव रे
अब तो बस.......................................
योगेश स्वप्न
13 टिप्पणियां:
"...kahan hai tera desh,tera gaanv re!"
Behad sundar tarz pe likhi rachana..bhakti geet!
sir bahut din baad aaye...bahut hi bhaktimay prastuti...jay shri krishna
अब तो बस। वाह वाकई भक्तिभाव से परिपूर्ण। शानदार।
http://udbhavna.blogspot.com/
बहुत सुन्दर शर्मा जी बढ़िया प्रस्तुति...आभार
योगेशजी, आपका यह भजन पसंत आया.
बेहतरीन पोस्ट
शुभकामनाएं
ब्लाग वार्ता पर आपकी पोस्ट
भावपूर्ण! प्रभु के दरस के लिये तड़प! बहुत अच्छी रचना। बधाई।
बहुत प्यारा भजन..अच्छा लगा ..
अब तो बस दे दे दरस, ओ सांवरे
अब तो बस दे दे दरस, ओ सांवरे
जग की ज्वाला में जला मन, ढूंढे तेरी छाँव रे
bahut dino baad hame bhi aapki rachna padhne ko mili sab kushal mangal to raha .hare rama hare krishna .sundar .
'जग का बंधन ना रहा, ना देह का बंधन
सुख दुःख भूला, हर्ष शोक, भूला सब क्रंदन
बस प्रतीक्षा रत पडूंगा , कब तुम्हारे पाँव रे'
-मन के भावों को बहुत ही सुन्दरता से इस भक्ति गीत में आप ने प्रस्तुत किया है.
-सहज सरल भावों की प्रभावशाली प्रस्तुति .
बहुत दिनों बाद आप की पोस्ट नज़र आई है .
शुभकामनाएं.
बहुत दिनो बाद आपको दुबारा ब्लॉग पर देखना अच्छा लगा ... सुंदर भजन है ...
अपका ब्लाग और आप नज़र आना बन्द हो गये क्या बात है? अच्छी रचना के लिये बधाई
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